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अपनों से बड़ों का सम्मान करने को उनके आगे शीश झुकाने को यदि शिवसेना ढोंग कहती है तो लानत है ऐसी सोच रखने वालों पर।

अपनों से बड़ों का सम्मान करने को उनके आगे शीश झुकाने को यदि शिवसेना ढोंग कहती है तो लानत है ऐसी सोच रखने वालों पर। उद्धव जी झुकता वही है जिसमें जान होती है अकड़े रहना मुर्दों की शान होती है। इन्ही सब कारणो और उत्तर भारतीय के अपमान के चलते सन्‌ 2005 मैंने खुद को शिवसेना संगठन से अलग कर लिया था। बात करते हैं कि हम आडवानी जी के पैर छूते हैं तो उद्धव जी नरेंद्र मोदी भी आपके पिता का सम्मान कर रहे !