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लॉकडाउन में रियायत या ढील देश को बड़े संकट की और धकेलने जैसा होगा: अभिमन्यु गुलाटी

मित्रों, मैं जनता कर्फ्यू के दिन विगत् 21 मार्च से ही प्रधानमंत्री मोदी द्वारा घोषित देशव्यापी लॉकडाउन का समर्थन करता आ रहा था।  आप और हम भी बार-बार इस विषय पर चर्चा करते थे कि अब Stringent कठोर लॉकडाउन की जरूरत है। टेलीविज़न के पर्दे पर प्रधानमंत्री मोदी की चिन्ता "जान है तो जहान है" पर उनकी भाव भंगिमा  देखकर भी लगता था कि स्थिति बहुत नाजुक है। और अब कठोर Stringent लॉकडाउन की सख्त जरूरत है।  लक्ष्मण रेखा को भी पार नहीं करन है।  लेकिन अचानक से ऐसा क्या हो गया कि प्रधानमंत्री मोदी कहने लगे की "जान भी और जहान भी" ?  मित्रों, उसके बाद सरकार ने मरी हुई अर्थव्यवस्था में प्राण फूंकने, उसे जीवित करने के  उद्देश्य से  अपने राजस्व की चिन्ता करते हुए और अपने बड़े उद्योगपति मित्रों के दवाब में आकर देश की बड़ी आबादी को कोरोना वायरस रूपी महादानव के मुख में झोंकने के लिए लॉकडाउन को विगत् 14 अप्रैल के बाद से निरन्तर Dilute कमजोर करना शुरू कर दिया।  मित्रों,  जिस तरह से रोज़ कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या देश की राजधानी दिल्ली सहित पूरे देश में निरन्तर बड़ रही है, इसके परिणाम