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"आज का बड़ा सवाल! क्या हम सच में आजाद हैं ?"

मित्रों, हर साल की तरह इसबार भी 15 अगस्त यानी "स्वतंत्रता दिवस" आ रहा है। 15 अगस्त यानीकि हमारी आजादी का दिन। इस दिन हमने अंग्रेज़ी हुकूमत की गुलामी से मुक्ति पा ली थी। 15 अगस्त सन् 1947 को अंग्रेजों से आजादी पाने के बाद से हर साल इस दिन को हमारे देश में स्वतंत्रता दिवस के रूप में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। स्कूल, कॉलेजों, सरकारी कार्यालयों तथा अन्य सभी जगहों पर आजादी का जोरदार जश्न मनाया जाता है। इस बार भी हम सब अपनी आजादी का 74.वां जश्न मनाने के लिए तैयार हैं।    लेकिन उसके पहले एक सवाल बार-बार मेरे मन में उठ रहा है कि क्या हम सच में आजाद हैं? क्या हम स्वतंत्रता का सही अर्थ समझ पाए हैं? ये तमाम प्रश्न न केवल हमारी आजादी पर प्रश्न चिह्न लगाते हैं, बल्कि समाज के बौद्धिक वर्ग व आम जनता को आजादी के सही मायने खोजने के लिए भी प्रेरित करते हैं।     सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं, मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए। मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में ही सही, हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए।    दुष्यंत की ये पंक्तियां आजादी के 73,वर्षों बाद आज भी उतनी ही