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Nation's Pride Abhimanyu Gulati: Blood Donation:

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नेता अपने पद का उपयोग जनहित में करें न कि व्यक्तिगत लाभ के लिए - अभिमन्यु गुलाटी

पीपुल्स राइट्स फ्रंट (P.R.F) के प्रमुख अभिमन्यु गुलाटी ने आज अपने कार्यालय से प्रेस सहित सोशल मीडिया पर जारी अपने बयान में आज की राजनीति और राजनीतिज्ञों के आचरण को लेकर अपनी गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि वह राजनीति में व्याप्त भ्रष्टाचार, अनैतिकता और स्वार्थपरता से बहुत निराश हैं। उन्होंने कहा कि राजनीति आज एक समाज सेवा का माध्यम ना रहकर विशुद्ध व्यवसाय बन गई है।  आज लोग राजनीतिक दलों और उनके नेताओं को अच्छी दृष्टि से नहीं देखते। राजनीति आज एक ऐसा क्षेत्र है जहां व्यक्ति को अपनी आत्मा को बेचना पड़ता है और अपने मूल्यों को त्यागना पड़ता है। गुलाटी ने अपने बयान के माध्यम से तमाम राजनीतिक दलों और उनसे जुड़े नेताओं से अपील करते हुए कहा कि वे अपने पद का उपयोग जनहित में करें, न कि व्यक्तिगत लाभ के लिए।   गुलाटी ने राजनीति में ईमानदारी और पारदर्शिता की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि वे चाहते हैं कि नेता अपने पद का उपयोग जनहित में करें और राजनीति को एक सकारात्मक दिशा में ले जाएं ।

" खून बेचने के लिए नहीं होता है"। केन्द्र सरकार के बल्ड बैंकों सहित अस्पतालों के लिए आए नये दिशा-निर्देशों का गुलाटी ने स्वागत किया।

नई दिल्लीः पीपुल्स राइट्स फ्रन्ट (P.R.F) के अध्यक्ष और देश की राजधानी दिल्ली में, रक्तदान के क्षेत्र में विगत् 30 वर्षों से सक्रिय, स्वयं 110 बार रक्तदान कर चुके, "अटल रक्तदान अभियान" के संयोजक अभिमन्यु गुलाटी  ने केन्द्र सरकार के औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) द्वारा निजी एवं कुछ सरकारी अस्पतालों और प्राइवेट ब्लड बैंकों द्वारा ब्लड देने के बदले, मरीजों के परिवारजनों से मोटी रकम वसूलने के ऊपर लगाम कसने के केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए अपनी चिन्ता भी व्यक्त की है। गुलाटी ने का कि केन्द्र सरकार के कल आए इस नए फैसले के बाद ब्लड बैंक या अस्पताल से खून लेने पर अब प्रोसेसिंग शुल्क के अलावा किसी भी तरह का कोई अन्य चार्ज नहीं लगेगा। जिसके चलते रक्त की जरूरत वाले मरीजों एवं उनके परिजनों को कुछ राहत मिलेगी। गुलाटी ने कहा कि केन्द्र सरकार के औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने कल यह स्पष्ट निर्देश जारी किया है और कहा है कि " खून बेचने के लिए नहीं होता है"।  उन्होंने कहा कि तमाम निजी अस्पताल एवं निजी बल्ड बैंक...

डॉ० श्यामा प्रसाद मुख़र्जी एक व्यक्तित्व

राजनैतिक जीवन डॉ मुख़र्जी के राजनैतिक जीवन की शुरुआत सन 1929 में हुई जब उन्होंने कांग्रेस पार्टी के टिकट पर बंगाल विधान परिषद् में प्रवेश किया परन्तु जब कांग्रेस ने विधान परिषद् के बहिष्कार का निर्णय लिया तब उन्होंने इस्तीफा दे दिया। इसके पश्चात उन्होंने स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा और चुने गए। सन 1941-42 में वह बंगाल राज्य के वित्त मंत्री रहे। सन 1937 से 1941 के बीच जब कृषक प्रजा पार्टी और मुस्लिम लीग की साझा सरकार थी तब वो विपक्ष के नेता थे और जब फजलुल हक़ के नेतृत्व में एक प्रगतिशील सरकार बनी तब उन्होंने वित्त मंत्री के तौर पर कार्य किया पर 1 साल बाद ही इस्तीफ़ा दे दिया। इसके बाद धीरे-धीरे वो हिन्दुओं के हित की बात करने लगे और हिन्दू महासभा में शामिल हो गए। सन 1944 में वो हिन्दू महासभा के अध्यक्ष भी रहे। श्यामा प्रसाद मुख़र्जी ने मुहम्मद अली जिन्ना और मुस्लिम लीग की साम्प्रदायिकतावादी राजनीति का विरोध किया था। उस समय जिन्ना मुसलमानों के लिए बहुत ज्यादा रियायत की मांग कर रहे थे और पाकिस्तान आन्दोलन को भी हवा दे रहे थे। उन्होंने मुस्लिम लीग के साम्प्रदायिकतावादी दुष्प्रचार से ...