राम रहीम को दोषी करार दिये जाने के बाद हरियाणा में हुई हिंसक घटनाओं के लिए हाई कोर्ट ने पॉलिटिकल सरेंडर माना।
कितनी हैरानी की बात है. राजनीतिक दलों के किसी भी नेता ने राम रहीम केस में कोर्ट के फैसले का स्वागत नहीं किया. निजता के अधिकार और तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया तो ट्वीट पर ट्वीट पोस्ट हो रहे थे, लेकिन राम रहीम को दोषी करार दिये जाने पर लगा जैसे सबको सांप सूंघ गया हो. वैसे तीन तलाक के मामले में अरविंद केजरीवाल ने भी अलग से ट्वीट नहीं किया था जिस पर लोगों ने कड़ा ऐतराज जताया था.
बाकियों की बदकिस्मती और नेताओं की खुशकिस्मती कहें कि राम रहीम के समर्थक हिंसक हो गये और नेताओं ने शांति की अपील के साथ रस्मअदायगी निभा डाली. स्वागत और मौन तो अलग, एक साक्षी महराज सामने आये जिन्होंने कोर्ट को ही सियासी कठघरे में घसीट लिया - और दूसरे ने तो हिंदू अस्मित पर ही खतरे की आशंका जता डाली. हद है!
एक बलात्कारी 'बाबा' के बचाव में...
फर्ज कीजिये, पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट इस केस की निगरानी नहीं करता तो क्या होता? मेनस्ट्रीम पॉलिटिक्स और छद्म धर्म के कॉकटेल से बने इस आपराधिक गिरोह के गुर्गे सरेआम छुट्टा घूम रहे होते.
हिम्मत तो देखिये इनकी. राम रहीम के छह सुरक्षा गार्ड और दो डेरा समर्थकों के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया है. मालूम है क्यों? क्योंकि इन्होंने कोर्ट में सुनवाई के दौरान IG को चांटा मारा था. आखिर ऐसी हिमाकत की आजादी इन्हें किसने दी? हाई कोर्ट को मजबूरन पूछना पड़ता है कि पंचकूला भारत में है या नहीं तो क्या कहेंगे?
सोशल मीडिया पर राम रहीम के साथ झाड़ू लगाते और खास मौकों पर उसके साथ नेताओं की जो तस्वीरें शेयर हो रही हैं वो फोटोशॉप नहीं हैं. बिलकुल ओरिजिनल हैं, जिन्हें बड़े गर्व से अब तक वेरिफाईड अकाउंट से शेयर किया जाता रहा.
राम रहीम को दोषी करार दिये जाने के बाद हरियाणा में हुई हिंसक घटनाओं के लिए हाई कोर्ट ने पॉलिटिकल सरेंडर माना है. कानून-व्यवस्था को लेकर खट्टर सरकार को फटकार लगाते हुए कोर्ट ने कहा कि सरकार ने राजनीतिक फायदे के लिए शहर को जलने दिया. सच में टीवी पर खट्टर का इंटरव्यू देख कर तो ऐसे ही लग रहा था जैसे हकीकत में हो क्या रहा है उन्हें ठीक ठीक नहीं मालूम. या फिर वो वस्तुस्थिति जानना ही नहीं चाहते. ये भी हो सकता है कि वो जानबूझकर जानना नहीं चाहते हों.
राम रहीम को दोषी करार दिये जाने पर जितनी तकलीफ पंचकूला में डेरा डाले उपद्रवियों को थी, उससे जरा भी कम बीजेपी सांसद साक्षी महाराज को नहीं हुई लगती. साक्षी महाराज की पीड़ा को उनके गुस्से, उनके शब्दों और राम रहीम के पक्ष में दलील से समझा जा सकता है. ऐसा लगता है जैसे राम रहीम के वकील होते तो कोर्ट से भी भगा ले गये होते.
राम रहीम के पक्ष में साक्षी महाराज की दलील भी जरा गौर कीजिए. फरमाते हैं, 'करोड़ों लोग डेरा सच्चा सौदा के बाबा को सच, भगवान मान रहे हैं. एक की बात सुनी जा रही है, करोड़ों लोगों की बात क्यों नहीं सुनी जा रही.'
किसी बलात्कारी का ऐसा बचाव...
अब आगे भी सुन ही लीजिये, 'एक आदमी यौन शोषण का आरोप लगा रहा है. पूर्वाग्रह भी हो सकता है. लोभ लालच भी हो सकता है. कर्नल पुरोहित और प्रज्ञा ठाकुर के साथ क्या हुआ. ये योजनाबद्ध तरीके से भारतीय संस्कृति को बदनाम करने का षडयंत्र है.'
गजब! मानना पड़ेगा. बेहयाई की भी कोई हद होती होगी, लेकिन इन्हें तो ये भी नहीं मालूम. कितने मासूम लग रहे हो तुम लोग?
अब इस भगवा चोले पर शक हो तो क्यों न हो? एक वे थे जिन्होंने सुनवाई के दौरान ड्यूटी कर रहे आईजी को चांटा मारे - और एक ये भी हैं.
साक्षी आगाह भी करते हैं, "अगर ज्यादा बड़ी घटनाएं होती हैं, तो सिर्फ डेरा के लोग जिम्मेदार नहीं होंगे, न्यायालय भी इसका जिम्मेदार होगा."
दरअसल, दूध के धुले तो ये भी नहीं हैं. मर्डर केस चल रहा है और इन पर भी बलात्कार के आरोप लग चुके हैं, जिन्हें थोड़ा गूगल करके पढ़ा जा सकता है.
मालूम नहीं बीजेपी इन पर कोई कार्रवाई करने की सोच भी रही है या नहीं? अगर इनकी बातों को निजी विचार भी बताया जाता है तो भी बहुत गंभीर बात है. सरकार तो इनकी अपनी ही है, कोर्ट की दखल बर्दाश्त नहीं हो रहा, इसलिए खुलेआम धमका रहा है. क्या इनकी बातों से ऐसा नहीं लगता जैसे ये डेरा समर्थकों को भड़का रहे हों? वैसे यूपी चुनाव के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो मीटिंग बुलाई थी उसमें 'मुहं के लाल' नेताओं के प्रति आभार जताया था - और आगे भी कायम रहने की उम्मीद जाहिर की थी.
बहरहाल, अब ये हाई कोर्ट पर निर्भर करता है कि साक्षी महाराज के बयान को न्यायालय की अवमानना मानते हुए तलब करता है और सजा देता है कि नहीं.
साक्षी महाराज जहां राम रहीम को दोषी करार दिये जाने को भारतीय संस्कृति पर हमला बता रहे हैं, वहीं एक गोल मोल ट्वीट में हिंदू अस्मिता पर खतरे की आशंका जतायी गयी है. बीजेपी के ही नेता सुब्रह्मण्यन स्वामी ने एक ट्वीट किया जिसके गुमनाम मैसेज की आप स्वयं व्याख्या कर सकते हैं और अपने हिसाब से समझ सकते हैं. अंग्रेजी के इस ट्वीट का हिंदी वर्जन ये है - "साधुओं के लिए नया खतरा: राजनेता और आश्रमों में रहने वाले स्वामीजी को जेल भेजकर आश्रम की संपत्ति पर कब्जा करना चाहते हैं. साधुओं को अपने उत्तराधिकारियों को आगे बढ़ाना चाहिए."