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कोरोना को लेकर जिस तरह की लापरवाही देखी जा रही है वह गंभीर संकट को आमंत्रित करने वाली है: अभिमन्यु गुलाटी

अब कोई नहीं आएगा बचाने...अपनी लड़ाई स्वयं लड़नी पड़ेगी। इसलिए हो जाएं सावधान।



मित्रों, महाशिवरात्रि पर गत दिवस हरिद्वार में कुम्भ का शुभारम्भ शाही स्नान के साथ शुरू हो गया है। इस आयोजन में देश के अलग-अलग हिस्सों से लोगों की भीड़ हरिद्वार में उमड़ेगी। 
कुम्भ मेला भारत के सबसे बड़े आयोजनों में से एक है लेकिन ये आयोजन ऐसे समय में हो रहा है जब देश में कोरोना की दूसरी लहर ने जोरदार दस्तक दे दी है। गत् दिवस 22 हजार से भी ज़्यादा नए मामले आये हैं जबकि स्वस्थ होकर अस्पतालों से लौटने वालों की संख्या काफ़ी कम है। 
केरल, गुजरात और महाराष्ट्र से भी चिन्ताजनक खबरें बराबर आ रही हैं। पूरे देश से लोग कुम्भ में आयेंगे। वहीं असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, पुडुचेरी और केरल में विधानसभा चुनाव की सरगर्मी के कारण कोरोना से बचाव के प्रति वैसे भी लोगों सहित नेताओं और राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं में लापरवाही देखी जा रही है। 
'मास्क' और शारीरिक दूरी की सलाह की  पूरी तरह उपेक्षा की जा रही है।  देश के बाकी हिस्सों में भी कोरोना को लेकर पैदा हुआ खौफ भी पूरी तरह से खत्म सा होने लगा है। भारत सरकार एवं राज्य सरकारों द्वारा लगाई गयी सारी बंदिशें लगातार शिथिल होती जा रही हैं जिसके चलते कोरोना संक्रमण के लौटने की स्थितियां बनने लगी हैं।
 रेलगाड़ियों  का परिचालन बढ़ने से आवागमन बढ़ने लगा है। घरेलू उड़ानों को भी भरपूर यात्री मिल रहे हैं। सिनेमा घर खुल गए हैं और होटल रेस्टारेंट भी गुलजार नजर आ रहे हैं।
 इस महीने के अंत में होली का उत्सव भी होगा और फिर उसके बाद आ जाएगा शादियों का मौसम। कहने का आशय ये है कि लॉकडाउन हटने के बाद कोरोना में क्रमशः आई गिरावट ने जो उम्मीदें जगाई थीं वे उसका टीकाकरण शुरू होने से और बलवती होने लगी हैैं। 
इसका असर ये हुआ कि लोगो में बेफिक्री आने लगी जो लापरवाही की हद तक जा पहुंची है। उसी का परिणाम है कि जिस कोरोना की विदाई मानकर राहत की सांस ली जा रही थी वह फिर से वापस लौट आया है।
 एक तरफ तो देश भर में चल रहे टीकाकारण के आंकड़े प्रसारित हो रहे हैं वहीं दूसरी तरफ कोरोना के नये मामलों में वृद्धि की खबरें भी बराबर सुनाई दे रही हैं। गत् दिवस नए संक्रमितों की संख्या न केवल चौंकाने बल्कि उससे ज्यादा डराने वाली है। यदि इस पर नियन्त्रण नहीं किया गया तब "टीकाकरण आगे पाट पीछे सपाट" की कहावत चरितार्थ करने वाला होगा। सरकार का पूरा ध्यान मौजूदा समय में टीकाकरण पर है।  ऐसे में यदि कोरोना अब पहले की तरह फैल गया तो हालात बेकाबू हो जायेंगे। 
कहा जा रहा है कि मुम्बई में लोकल ट्रेन शुरू होते ही कोरोना के नए मामले बढ़ने लगे। पुणे, नासिक, नागपुर से आ रही खबरें भी भयभीत कर रही हैं। जहां रात्रिकालीन कर्फ्यू के बाद अब लॉक डाउन की नौबत आ गई है।  
ऐसी सूरत में अब जनता विशेष रूप से पढ़े-लिखे लोगों की जिम्मेदारी है कि वे खुद तो कोरोना से बचाव के तौर-तरीकों का पालन करें ही, साथ में अपने सम्पर्क में आने वाले हर व्यक्ति को उसके लिए प्रेरित भी करें। 
कोरोना को लेकर जिस तरह की लापरवाही देखी जा रही है  वह गंभीर संकट को आमंत्रित करने वाली है। बीते एक साल में देश का हर व्यक्ति इस बीमारी और उससे बचने के तरीकों से परिचित हो चुका है. हमारे इर्द-गिर्द हुईं मौतों से हमें जो सबक मिला उसे इतनी जल्दी भुला देना मूर्खता होगी।
 इसलिए व्यर्थ की बहादुरी दिखाने  की बजाय हमें अपनी बुद्धिमत्ता का प्रदर्शन करना चाहिए। कोरोना को आपकी सामाजिक या आर्थिक हैसियत से कुछ भी लेना-देना नहीं है।  
वह सावधानी हटी-दुर्घटना घटी वाली उक्ति को सही साबित करने वाला है।  ऐसे में जरूरी है कि देश के प्रत्येक नागरिक को कोरोना के प्रति पहले जैसी सतर्कता रखनी होगी। 
 हर बात के लिए प्रधानमन्त्री के सन्देश की प्रतीक्षा करने के बजाय एक जिम्मेदार नागरिक होने का परिचय देना हमारा दायित्व है जिससे मुंह मोड़ना जानलेवा साबित हो सकता है। भारत ने इस बीमारी पर विजय पाने के लिए जो कुछ भी किया उसकी पूरी दुनिया में प्रशंसा हो रही है। हमारे यहां तैयार हुए टीके भी विदेशों में जा रहे हैं। ऐसी स्थिति में कोरोना का वापस आना हमारी जग हंसाई करवा देगा। बेहतर हो कोरोना के प्रति हम पहले की ही तरह सावधानी का पालन करें।  

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