पीपुल्स राइट्स फ्रंट (P.R.F.) के प्रमुख अभिमन्यु गुलाटी ने,आज़ाद भारत के दूसरे प्रधानमंत्री "लाल बहादुर शास्त्री" जी को आज उनके जन्मदिवस 2 अक्टूबर पर याद करते हुए देश में उनके अथक प्रयासों से लाई गई हरित क्रांति की चर्चा करते हुए कहा कि आज़ादी के कुछ वर्षों बाद तक भी हमारा देश विदेशों से आयात किये जाने वाले घटिया किस्म के अनाज़ पर निर्भर था, तब एक गरीब किसान परिवार के यहाँ जन्म ले और देश के प्रधानमंत्री के पद पर पहूंचे छोटी कद-काठी के लाल बहादुर शास्त्री जी ने देश में अन्न की पैदावार बड़ाने और आंतरिक सुरक्षा सहित बाहरी सुरक्षा बड़ाने के लिए देश को आज़ादी के बाद तरक्की की नयी और मजबूत राह दिखाई !
गुलाटी ने कहा कि शास्त्री जी ने एक नया नारा दिया था 'जय जवान - जय किसान" और उनके इस बुलंद नारे के बाद देश में ज़बरदस्त हरित क्रांति हुई, और भारत आत्मनिर्भर बना जिसके परिणाम स्वरुप आज हम कुछ देशों को उनकी खाद्यान जरूरतों की पूर्ती के लिए अन्न का निर्यात करते हैं !
गुलाटी ने कहा कि वे सिर्फ शास्त्री जी ही थे जो प्रधानमंत्री होते हुए भी रात अपने छोटे से घर में गुजारते थे, उन्होंने प्रधानमंत्री आवास को सिर्फ अपने कार्यालय के तोर पर इस्तेमाल किया उन्होंने कहा कि लाल बहादुर शास्त्री जे ने कभी भी आज के भ्रष्ट नेताओं की तरह पैसे को तवज्जो नही दी, उनके बारे में अंग्रेजी में अक्सर कहा जाता है कि "A Politician who Made No Money"!
गुलाटी ने कहा कि शास्त्री जी के प्रधानमंत्री रहते काम करने के तोर तरीकों से प्रभावित होकर देश के पूर्व कवी हृदय प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने पोखरण में किये गए परमाणु टेस्ट के बाद शास्त्री जी के नारे जय जवान - जय किसान को और तार्किक एवं प्रासंगिक बनाते हुए उसमे जय विज्ञान जोड़ते हुए अपने कार्यकाल मैं एक नया नारा दिया "जय किसान -जय जवान - जय विज्ञान" !