भारत में न तो इस्लाम और न ही उसको मानने वालों पर कोई खतरा है, लेकिन इस्लामिक कट्टरपंथी मुसलमान जरूर भीतर ही भीतर भारत के लिए एक बड़ा खतरा बनते जा रहे हैं!मैंने महसूस किया है कि भारत में कुछ मुसलमान जो कि मज़हबी कट्टरता का लबादा ओढ़े हैं सुधरने का नाम ही नहीं ले रहे, उनकी सहानुभुति भारत के साथ कम इस्लामिक राष्ट्रों के साथ कुछ ज़्यादा है।.... कहते हैं फिलिस्तीन ज़िन्दाबाद... ठीक है भाई, फिलिस्तिन जिन्दाबाद कोई बात नहीं.... खूब बोलो खूब हमदर्दी जताओ!लेकिन उन्हें भारत माता की जय बोलने और वन्दे मातरम् बोलने से चिड़ मचती है... छाती ठोक कर कहते हैं कि नहीं बोलेंगे.... और यदि आप उन्हें कहें कि भारत माता की जय नहीं बोलोगे तो किसी इस्लामिक देश की नागरिकता ले लो और वहां चले जाओ। सीना ठोककर कहते हैं कि वहां भी नहीं जाएंगे! मतलब साफ है कि वो भीतर ही भीतर भारत के बहुसंख्यक हिन्दू समाज के लिए चुनौती पेश कर रहे हैं! उनके मंसूबे कुछ और ही बयान कर रहे हैं। इस तरह के लोग अपने मादर-ए-वतन से प्रेम करने वाले अमनपसंद मुसलमानों के भी कट्टर दुश्मन हैं।जो मुसलमान अपने मादर-ए-वतन के प्रति प्रेम नहीं रखता सिर्फ दिखावे के लिए तिरंगा उठाता है और भीतर ही भीतर इस्तामिक देशों से सहानुभुति रखता है , रहता भारत में हैं, खाता भारत का है और गीत गाता है कहीं और के ... यह सब कोई कैसे बर्दाश्त करेगा ? आज का भारत तो कतई नहीं!#इस्लामिककट्टरपंथ #इस्लाम #भारतमाताकीजय #संघ
पीपुल्स राइट्स फ्रंट (P.R.F) के प्रमुख अभिमन्यु गुलाटी ने आज अपने कार्यालय से प्रेस सहित सोशल मीडिया पर जारी अपने बयान में आज की राजनीति और राजनीतिज्ञों के आचरण को लेकर अपनी गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि वह राजनीति में व्याप्त भ्रष्टाचार, अनैतिकता और स्वार्थपरता से बहुत निराश हैं। उन्होंने कहा कि राजनीति आज एक समाज सेवा का माध्यम ना रहकर विशुद्ध व्यवसाय बन गई है। आज लोग राजनीतिक दलों और उनके नेताओं को अच्छी दृष्टि से नहीं देखते। राजनीति आज एक ऐसा क्षेत्र है जहां व्यक्ति को अपनी आत्मा को बेचना पड़ता है और अपने मूल्यों को त्यागना पड़ता है। गुलाटी ने अपने बयान के माध्यम से तमाम राजनीतिक दलों और उनसे जुड़े नेताओं से अपील करते हुए कहा कि वे अपने पद का उपयोग जनहित में करें, न कि व्यक्तिगत लाभ के लिए। गुलाटी ने राजनीति में ईमानदारी और पारदर्शिता की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि वे चाहते हैं कि नेता अपने पद का उपयोग जनहित में करें और राजनीति को एक सकारात्मक दिशा में ले जाएं ।